आरक्षण ही आरक्षण
आरक्षण ही आरक्षण
आरक्षण ही आरक्षण
दे रहा है ये सबको गम।
होशियार दुख मना रहे
क्योंकि हम सब मिलकर
जातिवाद बढ़ा रहे।
कैसा होगा उस देश का भविष्य
जहाँ होंगे जातिवाद
के आधार पर शिष्य।
पढ़ पढ़ के भारतीय जा रहे विदेश
क्योंकि इधर नहीं रह गया
उनके लिए कुछ शेष।
बड़े बड़े पदों पर
मार रहा आरक्षण बाजी
क्योंकि पढ़कर आगे बढ़ने की
बातें अब नहीं ताज़ी।
नेता दे रहे आरक्षण को
अभी तक भाव
क्योंकि इससे पड़ रहा इनके
वोट बैंक पर अच्छा प्रभाव।।
ऐसा करके क्या हम इस देश को
वाकई आगे बढ़ा रहे ?
या फिर अपने ही हाथों
अपने देश को पछाड़ रहे ?
आरक्षण गलत नहीं
गलत है इसकी पहुँच
आरक्षण देना है तो उसको दो
जिसके पास हो सोच।
आओ आज उठ खड़े
हो इसके खिलाफ
कल कुछ ऐसा ना हो जाये
के कर न पाओ
खुद को कभी माफ।
क्या करोगे उस दिन
जब हो जाएगी देर
क्यों ना आज ही उठ खड़े हो सब,
करने इस आरक्षण को ढेर।