उगेगा नया सूरज
उगेगा नया सूरज
यह है वृंदावन का प्रेम मंदिर
जिसकी सीढ़ियों पर
सात दिन की मेरी उम्र में
तू मुझे छोड़ कर चली गई थी
मेरा क्या कसूर था माँ?
इस धरती पर जन्मने का
क्या मेरा अधिकार न था?
ईश्वर ने इस दुनिया को संभालने के लिए
अपना प्रतिरूप माँ दी
माँ के आंचल की छांव दी
तूने मुझसे वह छाँव छीन ली
मुझ दुधमुंही से
अपने दूध की सौगात छीन ली
कब से रो रही हूँ माँ
तेरे अमृत दूध को तरस रही हूँ
मेरे आंसुओं से भीग चुका है प्रेम मंदिर
तू भी रो रही है न माँ?
तड़प रही है न मेरे लिए?
तू बड़ी कमज़ोर निकली माँ
जो घुटने टेक दिए गलत के,
गुनाह के सामने
तूने ही नहीं इन सब की माँओं ने भी
जो दो, चार या दस दिन की उम्र में
छोड़ दी गई थी यहां
मेरे आंसुओं के संग उनके आंसू मिल
सैलाब लाएंगे
तू देखेगी माँ
वो सैलाब उस सब कुछ को
बहा ले जाएगा
जो सारे के सारे
बेटियों को मिटा डालने के लिए
रचे गए थे
तू देखेगी माँ
उगेगा नया सूरज
बेटियां सूरजमुखी सा हंसेंगी
अपने जीने का अधिकार पा के माँ!