ग़र मोहब्बत...
ग़र मोहब्बत...
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ग़र मोहब्बत सिर्फ दर्द भरे नैना,
तेरी मेरी ज़िंदगी न होती
तुझे बेगानों सी मुझे दीवानों सी
ग़र मोहब्बत न होती
तय है लिखा क़िस्मत लेकिन
ख़बर न तुझे है न मुझे कुछ
यूँ भी बेक़रारी न होती
जुदाई जो तेरी मेरी आदत न होती
न ठिठुरती बाहें न लब कंपकपाते
बिन सर्द मौसम कभी
महसूस सिहरन न होती
जो तेरी आमद
मेरी रूखसती न होती
ग़र मोहब्बत नहीं होती