गुजारिश
गुजारिश
करवट बदल बदल के नींद से गुजारिश की
कम से कम तू तो आजा मेरे नयनों की गली।
खुली आँखों से उन्हें कैसे देखूँ मैं
ये दूरियाॅं कैसे अब सहूँ मैं।
ये रात की तन्हाई बैचेनी बढ़ायें
तू न आयी तो तेरी याद मुझे सताये।
ख्वाब तो मेरे अपने हैं
खुशियों के पल अपने हैं।
सपनों में सही उनका दीदार करूँ
थोड़ा सताऊँ थोड़ा प्यार करूँ।
यूँ करवट बदलना, इश्क की तौहीन है
आजा नींदियाॅं अँखियन में रात अभी बाकी है।
उसे आखिर मुझ पर दया आयी
बंद पलकों में जिंदगी मुस्कुरायी।