आसमां को छूने की चाह
आसमां को छूने की चाह
हर एक जिंदगी की अपनी अपनी राह है
पर मेरी तो आसमां को छूने की चाह हैं
कई कहते हैं कि ये तो नामुमकिन है
और हम सिर्फ अपने काम में लीन है
ऊचाईयां मिल ही जाएंगी विश्वास है
यही लोग कहेंगे उन्हें हमपे नाज है
हमें अपनी काबिलियत से मिलाती है
फिर ये सफलता की सीढ़ी कहलाती हैं
इसपर चढ़ना इतना भी आसान नहीं है
ये हर किसी के बस की बात नहीं है
चढ़ते वक्त अक्सर ठोकरें दे जाती हैं
पर ये ठोकरें ही हमे मजबूत बनाती हैं
गिरते गिरते एक दिन उठ ही जाएंगे
देखना फिर हम नई पहचान बनाएंगे
जब भी ये ऊचाईयां मुझे आजमाती है
आसमां को छूने की चाह बढ़ती जाती है