आज में जिया जाये
आज में जिया जाये
वक़्त की इस आँधी में,
उड़ता है हर इंसान,
कोई वक़्त को थाम लेता है,
किसी को वक़्त थाम लेता है।
पर दोनों ही रास्तों पर,
ज़िन्दगी रुकती नहीं है,
इंसान थम जाता है,
ज़िन्दगी थमती नहीं है।
तो क्यों न इस ज़िन्दगी को,
खुल के जिया जाये,
खुल कर रोया जाये,
खुल कर हँसा जाये।
गिरते, संभलते, उठते
ज़िन्दगी को परखा जाये,
क्यों न आज कुछ नया किया जाये,
आज बस आज में,
पूरी ज़िन्दगी जिया जाये।
जल को थामना आसान नहीं,
चलो जल समान ही बहा जाये,
सूरज की रौशनी में नहाया जाये,
बस, आज आज में जिया जाये।।