प्यारी दीदी के लिए
प्यारी दीदी के लिए
सुनिए बाजी
कयामत का दिन आने से पहले
सहेज लीजिएगा अपने सारे बुर्के,
रखिएगा उन्हें बंद करके
किसी संदूक या सूटकेस में
और ध्यान दीजिएगा
कि जब कयामत का दिन आए
तो आपके वालिद, भाई, शौहर और बेटे
और वे सभी मर्द
जो प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से
आपकी ज़िंदगी के मालिक रहें,
उन छिपाए गए बुर्कों को ढूंढकर
अपने साथ किसी नई दुनिया
जन्नत या जहन्नुम तक ले जाने में
कामयाब न हों,
आप बेहतर जानती हैं बाजी
कि मर्द खत्म होती दुनिया में
खत्म होने के लिए छोड़ सकते हैं
औरतों को,
लेकिन कयामत के दिन भी
बुर्कों को बचाए रखने का लालच
वे नहीं छोड़ पायेंगे
क्योंकि बुर्के ज़रूरी हैं
मुस्तकबिल में पैदा होने वाली उस नस्ल के लिए
जिनके लिए सिमोन कहकर गईं थीं कि
वे पैदा नहीं होतीं, बल्कि बना दी जाती हैं।
मैंने ताई से भी कहा है
प्रलय आने से पहले,
वे बप्पा की मूरत को
छिपाकर रखें
बाबा, भाऊ और आजोबा ने
उन्हें पुरुष देवताओं की पूजा करना सिखाया भी
तो केवल इसीलिए कि
पुरुषों की पीढ़ियों का उद्धार होता रहे,
पर प्रलय के बाद
अब जब नई दुनिया बनेगी
तो वहाँ ले जाने के लिए
बप्पा की मूरत नहीं होगी -
न होंगे देवा
न होगी पूजा,
और न होगा उद्धार !
प्यारी अक्का को कुछ भी सहेजने - छिपाने को नहीं कहा मैंने,
वे जानती हैं
कि नई दुनिया में
उन्हें अपने साथ लेकर जाना है
सांवला रंग, फ़ूल, पत्थर, आग
और स्याही
अपनी उस सोदारी के लिए
जो इस पुरानी दुनिया में
फेयरनेस क्रीम, कांटों, रत्न, आंसू
और कोरे कागज़ों के ढेर के बीचों बीच
जीते हुए भी
मर गई...।