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Habib Manzer

Drama Romance

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Habib Manzer

Drama Romance

याद आती हो क्यों

याद आती हो क्यों

1 min
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बहुत याद आती हो क्यों तुम बताओ

सनम याद से तुम ना दिल को दुखाओ

तमन्ना मेरी गुफ्तगू तुमसे कर लूं

मरासिम मेरे दिल से तुम भी बढ़ाओ


तुझे देख लूं जब खुले मेरी आँखे

सनम सामने अब नज़र के तो आओ

यही सोचकर बंद करता हूँ आँखें

है दिल मुन्तज़िर तुम ना इसको सताओ


मेरे दिल की हालत समझते नही तुम

क्यों दूरी है इतनी वजह तुम बताओ

तुझे दिल में अपने सनम कैद कर लूं

मेरे दिल में तुम भी सनम घर बनाओ


मेरे ख्वाब में अब तुम्ही रात भर हो

कदम मेरे जानिब सनम तुम बढ़ाओ

कोई गैर हो जब नज़र बंद कर लूं

सनम अपनी चाहत मुझे तुम बनाओ


मेरी मंज़िलों पर सनम नाम तेरा

कभी अपनी मंज़िल मुझे तुम बनाओ

सफर ज़िंदगी भर तेरे साथ कर लूं

मुझे अपनी चाहत का जलवा दिखाओ


तुम्ही ने सिखाया सब्र मुझको करना

मेरे ख्वाब अब सनम तुम कराओ

कयामत की जानिब नज़र मैं भी कर लूं

अगर मेरा वादा वफा तुम निभाओ


कसम आजतक तुमने मुझको दिया ना

क्यों दिल चाहता है कसम अब खिलाओ

बसर ज़िंदगी चाहतों पर मैं कर लूं

मगर पल हसीन साथ कुछ तुम बिताओ...।


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