Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Kamal Purohit

Tragedy

3  

Kamal Purohit

Tragedy

अग्निपरिक्षा

अग्निपरिक्षा

1 min
187


जब जब रावण ने सीता को हरा है

तब तब राम के हाथों रावण मरा है

राम के साथ वन में जाना

सीता का फैसला था माना


सीता चाहती तो रावण को

पल में भस्म कर सकती थी

मगर फिर भी वह हमेशा,

राम की ही राह तकती थी

राम से पुनः मिल सीता थी हर्षाई


मानो जन्मों की खुशी पल में पाई

लेकिन राम चाह कर भी खुश न हुए

क्यों राम को लोकलाज का भय था ?

राजा हो कर भी समाज का भय था


राम अगर चाहते तो पल भर में

जग को बता देते सीता की पवित्रता

मगर राम ने ईश रूप नहीं धरा

मानव रूप में मानवीय कार्य किया


त्रेता से कलयुग तक,

हर बार सीता ने अग्नि परीक्षा दी है

हर बार सीता ने अपनी पवित्रता साबित की है

हर बार राम को लोकलाज का भय रहा

हर बार सीता को तज दिया गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy