अग्निपरिक्षा
अग्निपरिक्षा
जब जब रावण ने सीता को हरा है
तब तब राम के हाथों रावण मरा है
राम के साथ वन में जाना
सीता का फैसला था माना
सीता चाहती तो रावण को
पल में भस्म कर सकती थी
मगर फिर भी वह हमेशा,
राम की ही राह तकती थी
राम से पुनः मिल सीता थी हर्षाई
मानो जन्मों की खुशी पल में पाई
लेकिन राम चाह कर भी खुश न हुए
क्यों राम को लोकलाज का भय था ?
राजा हो कर भी समाज का भय था
राम अगर चाहते तो पल भर में
जग को बता देते सीता की पवित्रता
मगर राम ने ईश रूप नहीं धरा
मानव रूप में मानवीय कार्य किया
त्रेता से कलयुग तक,
हर बार सीता ने अग्नि परीक्षा दी है
हर बार सीता ने अपनी पवित्रता साबित की है
हर बार राम को लोकलाज का भय रहा
हर बार सीता को तज दिया गया।