यौर ऑनर
यौर ऑनर
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तुम्हारे पाक मंदिर में
जो अंधी बुढ़िया रहती है
मैं उसको अपनी आँखें
दान करना चाहता हूँ
इस से
हम दोनो का
शायद
कुछ भला हो जाए
यहया ख़ान युसुफ ज़ई