रिश्ते
रिश्ते
कपड़ों पर लगी मैल धुल तो सकती है
पर दिमाग पर चढ़ी मैल की परतें कैसे धोओगे।
गलत राह से सही राह पर आ तो सकते हो
पर टूटे रिश्तो को भला कैसे जोड़ोगे।
जुड़ भी गए तो गाँठें कैसे खोलोगे।
टूटे हुए दर्पण में अपना चेहरा कैसे देखोगे ।
काँच के टुकड़ों की चुभन को कैसे सहोगे।।