बाज़ार
बाज़ार
घर ही अब बाज़ार हो गया
रिश्तों में व्यापार हो गया।
क़ीमत हो गयी हर तोहफ़े की
अब महँगा शिष्टाचार हो गया।
जीवन की है परिभाषा बदली
अब चोर ही थानेदार हो गया।
लिखता कुछ हूँ करता कुछ हूँ
अपना भी ये व्यवहार हो गया।
घर ही अब बाज़ार हो गया
रिश्तों में व्यापार हो गया।
क़ीमत हो गयी हर तोहफ़े की
अब महँगा शिष्टाचार हो गया।
जीवन की है परिभाषा बदली
अब चोर ही थानेदार हो गया।
लिखता कुछ हूँ करता कुछ हूँ
अपना भी ये व्यवहार हो गया।