जरा सोच के मुझे बता दो
जरा सोच के मुझे बता दो
मेरा तो कोई कसूर गिना दो
या तेरी यादों पर पहरा लगा दो
मैं कैसे जिऊंगा अब तेरे बिन
जरा सोच के मुझे बता दो
मेरी रूह में तुम बस चुके हो
या फिर मेरी सांस बन चुके हो
मैं कैसे मिटाऊ यूं यादों को
जरा सोच के मुझे बता दो
मेरी आंखों में जो अक्स सा है
या फिर मेरे घर के साज सा है
मैं कैसे गिनाऊं हर वो लम्हा
जरा सोच के मुझे बता दो
मेरी आंखो के नूर से हो तुम
या फिर मेरी सोच से हो तुम
मैं कैसे पीऊंगा जुदाई का ये गम
जरा सोच के मुझे बता दो
मैं तन्हा तन्हा सा रहा हूं खड़ा
या फिर यादों में खोया सा रहा
मैं कैसे छिपाऊंगा इन आंसुओ को
जरा सोच के मुझे बता दो।