मेरी कविताएं
मेरी कविताएं
1 min
251
मन के भाव, मेरी उलझने
या फिर मेरी खुशियां गाएँ
मेरे जीवन की परछाई
बनी मेरी कविताएं।
विचार विमर्श भी होता इनसे
ज्ञान का स्त्रोत बनी हैं
मिट जाता अंधकार सोच का
ऐसी उज्ज्वल जोत बनी है।
करती मेरा पथ प्रदर्शित
जब मन भटका जाए
मेरे जीवन की परछाई
बनी मेरी कविताएं
लिख लेती हूँ ,गा लेती हूं
जो हो मन- मस्तिष्क में ठहरा
मेरी कविता और मेरा
अनकहा रिश्ता यह गहरा
जीने का सार जितना समझा
उन पर लिखे गीत और गाए
मेरे जीवन की परछाई
बनी मेरी कविताएं।