Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Chirag Sanghvi

Drama

1.7  

Chirag Sanghvi

Drama

सफ़र

सफ़र

1 min
13.5K


वो वक्त था गुज़र गया,
एक वादा था, तू मुकर गया।
बस एक ख़्वाब था इन आंखों में,
वो टूटा, टूट कर बिख़र गया।

छिड़ी की जंग जो वक्त से,
मैदान में मैं उतर गया।
तू फिर एक दफा मुकर गया,
तू डर गया, मैं लड़ गया।

चले थे साथ सफर पे हम,
तू बीच राह‌ में बिछड़ गया।
मैं परिंदा, था घरौंदा तू,
और यूं, घर मेरा उजड़ गया।

थी रास तुझको जुदाई मेरी,
ले आज़ाद मैं तुझको कर गया।
फिर वक्त मेरा ठेहेर गया,
और जीवन तेरा संवर गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama