अजब सी रीति
अजब सी रीति
अजब सी रीति दुनिया में,
लोग चलाया करते हैं !
बिना छेद की कश्ती को,
सागर में डुबाया करते हैं !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते हैं !
पहले तो ज़ख्म दिया करते,
फिर नमक लगाया करते हैं !
दूजों का दिल तोड़ के अक्सर
दिल को बहलाया करते हैं !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते हैं !
ज़ालिम और मगरूर के आगे,
ये सिर को झुकाया करते हैं !
बेबस और लाचार के ऊपर,
ये तो मुसकाया करते हैं !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते हैं !
कभी-कभी तो ये देखो,
रावण बन जाया करते हैं !
इंसा तो बन पाते नही,
भगवान बताया करते हैं !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते हैं...!