इंसानियत
इंसानियत
तू हिंदू मै मुसलमान,
मैं सिख तू ईसा का मेहमान
बस इन चार शब्दों में ,
उलझ कर खो गया इंसान।।
जानवरों से बड़ा ,
कोई वफ़ादार नहीं
और इंसानों से बड़ा,
कोई दगाबाज़ नहीं।
क्योंकि जानवरों ने,
जानवरपन छोड़ा नहीं
और इंसानों ने
इंसानियत को पकड़ा नहीं !