जिंदगी
जिंदगी
सुबह से शाम होती है.......
कभी धूप, कभी छाँव होती है
कभी मंजिल चूम लेती है....
कभी बहुत तरसाती है।
बनना है तो बनो चिराग,
जो विरानों को करे रौशन।
ख्वाहिशें रखो एैसी....
जो रुकने दे ना थमने दे।
धीरे धीरे जो राहें,
पीछे छूट जाती हैं....
वापस हो नहीं सकती,
जो लम्हें बीत जाती है।
कतरा-कतरा ही सही...
जो भी अपने हिस्से का,
जी लो जी भर के...
रह जाए ना खलिश कोई।
ऐ जिंदगी है, प्यारे वंदे
जो एक दिन खत्म होती है।।