अस्पताल जाते लोग
अस्पताल जाते लोग
लोग अस्पताल जा रहे हैं
देखने में लग रहे लगभग भले-चंगे
उनका अनुमान है कि
वे शायद सख्त बीमार हैं
इन्हें सफेद कोट वाले डाक्टर के
गले में लटके स्टेथोस्कोप से बड़ी उम्मीद है।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
उनके पास आज करने जैसा कोई काम नहीं
वे अपने सारे ख्वाब रख आये हैं
दहलीज़ पर रखे
गेहूं के भीगे हुए दानों के साथ
सूख कर कड़क होने के लिए।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
रास्ते में मिलते हर पीर फ़कीर के आगे
बड़ी शिद्दत से सिर नवाते
वे मांग रहे हैं मन्नत
आज डाक्टर का हाथ किसी तरह
उनकी नब्ज तक पहुँच जाए।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
उनकी जेबें खाली हैं
उनके पीछे पीछे आ रहे हैं जेबकतरे
कमजोर है जिनकी नज़दीकी बिनाई
वे मरीज़ों की खाली जेबों में
ढूंढ रहे हैं सुख सम्पदा।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
उनका संजीवनी बूटी पर भी
आज भी आधा अधूरा यकीन है
अस्पताल के बाहर खड़े दलाल
बुन रहे हैं झांसे के पारदर्शी जाल
इन्हें भरोसा है मरीज़ों की मासूमियत पर।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
डाक्टर के कमरे की मेज पर
रेंग रही है भूरी छिपकली
एक कीड़े को निगलने के बाद
उसे दूसरे को पकड़ने की जल्दी नहीं
डाक्टर आज सम्भवतः छुट्टी पर है।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
बाहर ठेले पर तले जा रहे हैं
त्रिकोण आकार के ब्रेड पकौड़े
यदि इलाज की उम्मीद बंधी तो
मरीज़ और उसका तीमारदार
उसे मिल बाँट कर खायेंगे।
लोग अस्पताल जा रहे हैं
उनमें से कुछ सोचते हैं कि
वे तो ठीक ही है
ये डाक्टर और मशीनें क्यों आमादा है
उनकी देह को बीमार बता
कीमती दवायें पर्चे पर दर्ज करने के लिए।