इंसान
इंसान
न खयाल हूँ, न ही ख्व़ाब हूँ,
न फरिशतों का, अरमान हूँ,
मुझे लव्ज़-ब-लव्ज़ ढूँढना,
मैं ख़ुदा का हरफ़े-बयान हूँ ।
मेरी लौ को कम न समझ नसीम,
मैं शहरे-अमन, चिराग हूँ,
मुझे कोई हसरते-ख़ला नहीं,
मैं जन्नतों का हक़दार हूँ ।
मेरी दुआएँ गिरफ़त में नूरे ख़ुदा,
मेरी जि़द से दीदारे कुददूस भी,
मुझे बारिशे-मैं की तलब नहीं,
मैं फ़क़ीरी में अफ़रोज़ हूँ ।
मेरी आँख को भिगो भी दे,
मेरे दिल पे ज़ख़म डाल दे,
मैं मिलूँगा फिर वहीं तुझे,
मैं होंसलौं पे सवार हूँ ।
मेरी क़लम में आतिशे-उरूज है,
मेरी दीद कोहिनूर है,
अब दीये को हवा का डर नहीं,
मैं रोशनी का सलार हूँ ।