जमाना आज का
जमाना आज का
अजीब सा है ये ज़माना ।
अजीब सी है ये दुनिया ।।
आदमी है आदमी का बैरी ।
वाह ख़ुदा ये है तेरी दुनिया ।।
गुनाहगारों को मिलती है रिहाई ।
बेक़सूरों को मिलती है सज़ा ।।
बेईमानों को मिलते हैं साथी ।
ईमानदारों को मिलती है सज़ा ।।
आम आदमी को मिलती है गरीबी ।
रिश्तेदारों को मिलती हैं तरक्कियाँ ।।
गरीबों को मिलती है रूसवाई ।
अमीरों को मिलती हैं ख़ुशियाँ ।।
कहीं लूटी जा रही इज्ज़त हमारी ।
कुछ कर रहे धंधा इंसानियत का ।।
ना कर बंदे ऐसा काम कोई ।
अजीब सा है ये ज़माना ।
अजीब सी है ये दुनिया ।।
आदमी है आदमी का बैरी ।
वाह ख़ुदा ये है तेरी दुनिया ।।
गुनाहगारों को मिलती है रिहाई ।
बेक़सूरों को मिलती है सज़ा ।।
बेईमानों को मिलते हैं साथी ।
ईमानदारों को मिलती है सज़ा ।।
आम आदमी को मिलती है गरीबी ।
रिश्तेदारों को मिलती हैं तरक्कियाँ ।।
गरीबों को मिलती है रुसवाई ।
अमीरों को मिलती हैं ख़ुशियाँ ।।
कहीं लूटी जा रही इज्जत हमारी ।
कुछ कर रहे धंधा इंसानियत का ।।
ना कर बंदे ऐसा काम कोई ।
जिससे बदनाम हो नाम हमारा ।।