Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Anantram Choubey

Others

2  

Anantram Choubey

Others

मंच मिल न मिले

मंच मिल न मिले

1 min
1.0K


कवि को
मंच मिले न मिले
वो कविता
लिख सकता है।
मंच को कवि न मिले
मंच नही चलता है
बन्द हो सकता है।
मंच को चलानेवाले 
ये भूल जाते है
जोड़ना तो ठीक है
अपने अहम के लिये
किसी को हटाते है
मंच एक शक्ति है
वंश है परिवार है
इंसान का शरीर है।
शरीर का अंग
खराब होने से
उसको काट कर
अलग नही करते हैं 
उसकी मरहम पट्टी
दवाई लगाकर ठीक
करते है घाव भर जाते है
काट कर अलग
नही करते है ।
कवि मोहल्ला गली
चौराहे मे खड़ा होकर
कविता सुनाने लगे
वो मंच बन जाता है।
कवि की लेखनी
बोलने की शैली मे
लोग इक्कठा होते है
भीड़ लग जाती है
लोग तालियां बजाते है
हौसला बढ़ाते है ।
मान सम्मान करते है ।
मंच मे पदाधिकारी
बढ़ने  से नही
कवि व श्रोता बढ़ने  से
मंच का मान बढ़ता है।
कवि को हटा देने से
मंच का मान नही बढ़ता 
मान घटता है गिरता है
कवि को पदाधिकारी
से छोटा मत समझो
पदाधिकारी मंच की
कार्यकुशलता को
व्यावस्था को संभालता  है।
काव्य गोष्ठियो मे कोई
भी कवि अध्यक्षता
कर सकता  है ,
सम्मान पाता है ।
किसी कवि को
पदाधिकारी से
छोटा मत समझो
कवि कवि होता है
ज्ञान का भंडार 
होता है।
मान व पद का
कोई भूखा नही
होता है ।


Rate this content
Log in