विश्वास के रिश्ते
विश्वास के रिश्ते
प्यार के रिश्ते तो बंधते हैं विश्वास से,
जब विश्वास ही टूट जाये तो क्या फायदा।
भरोसा तुझ पर किया था रब से ज्यादा,
जब रब ही रूठ जाए तो क्या फायदा।
दिल तोड़ने से पहले एक बार सोचते,
अब जोड़ भी दोगे तो क्या फायदा।
हम बार बार रोते रहे तुम्हारी खातिर,
अब हमको हँसा भी दोगे तो क्या फायदा।
विश्वास टूट ही गया अब हमारा,
विश्वास अब कर के भी क्या फायदा।
क्या भरोसा कब फिर दगा दे जाओ,
दिल फिर से लगा के भी क्या फायदा।
तन्हा है हम तन्हा ही जी लेंगे,
अब तुम्हारे साथ चार कदम चल के भी क्या फायदा।