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Abasaheb Mhaske

Classics

3  

Abasaheb Mhaske

Classics

जिंदगी एक खुली किताब

जिंदगी एक खुली किताब

1 min
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मेरी जिंदगी एक खुली किताब 

जिसमे है गम कि परछाइयां !

तो कभी खुशियां ही खुशियां ...

जैसे कांटे भरा फूलों का बगीचा !


जिंदगी है एक विद्यापीठ ...

जितना पढ़े कम ही लगे !

मधुमक्खी जैसी मधुकण चुसे 

बिलकुल हम सब जी भर के जिये ! 


जिंदगी है एक सचमुच मेला

खुशियां की लूट करते रहो !

नफरत छोड़ो, प्यार दो सबको

इन्सानियत से मनावाओ रब को !  


जिंदगी है एक छोटी सी कहानी ... 

थोड़ी सी खट्टी, मीठ्ठी थोड़ी सी !

हँसते-हँसाते खुशियाँ बांटो...

चाहे कल हम हो या ना हो !  


जिंदगी है एक उलझा हुआ रास्ता ... 

दोस्त ! हाथ पकडकर साथ हैं चलना ! 

चंद लम्हे तो हैं जी भर के जिये ...

बहुत कम हैं जिंदगी और

मौत का फासला !


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