बेचनेवला
बेचनेवला
"ग़मो का तोड़ है तावीज़ "कह के बेचनेवाला है
ख़ुद ही मुब्तिला ग़म से मुकद्दर बेचनेवाला
पुरखों की निशानी थी ,वो वही घर बेचनेवाला।
बहुत मजबूर था बाज़ार आ कर बेचनेवाला
तिज़ारत के नये पहलू हमेशा खोज़ लेता है
जो अपनेअम्न ग़म है मुस्कुरा कर बेचनेवाला
मुझे तकलीफ़ कम देती है अब ये नौकरी मेरी
झुलसते धूप में देखा है चादर बेचनेवाला
ख़ुदा ही जानता है राज़ ,प्यासा क्यों मारा होगा
बसों में बोतल बंद पानी दिनभर बेचनेवाला
समझ पाता नहीं कोई भी इस अंदाज़ ऐ दुनिया को
दुआयें अम्न की देता है ख़ंजर बेचनेवाला
उसे मेहमाँ नवाज़ी की अदा हर रश्म करनी थी
बड़ा खुद्दार था घर के कनस्तर बेचनेवाला
मेरे महबूब मैं तक़दीर पे उसके बहुत रोया
हूनर मजबूरियों था सुख़नवर बेचनेवाला