कभी मै सोचती हूँ
कभी मै सोचती हूँ
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मै कभी ये सोचती हूँ
तेरी बांहों की मलमली दुलई में
मेरी शाम कैसे गुजरेगी।
लिपटी रहूंगी साये से तुम्हारे
या, तुझमें कहीं खो जाऊंगी ।
घुल ही ना जाऊं मै
सांसो मे तुम्हारे।
या सिमट ही ना जाऊं मै
बाँहों मे तुम्हारे।
कभी मै सोचती हूँ
कभी मै सोचती हूँ