प्रेम गीत
प्रेम गीत
छवि तुम्हारी इस ह्रदय से
बनकर प्रेम बरसती है,
तेरे यादों की एक दुनिया सी
मेरे अंदर घुमड़ती है।
मैं गीत लिखूँ या लिखूँ गजल
ये अहसासों की कहानी है,
यह नदियाँ झरने और समुन्दर
मेरी यादों के पानी हैं।
चलना होगा जन्म-जन्म तक
जब तक सूरज चंदा है,
इन साँसों के दरिया में
अरमानों की बहती गंगा है।
सूनी रातों के वीराने में
साँसों की अगन जगाती है,
जब धड़कन तेरी यादों की
थपथपा हमें सुलाती है।
मैं बहता हूँ बनकर दरिया,
ओस की बूंद बरसता हूँ,
मयखानों में बनकर मदिरा
सुरबालाओं सा थिरकता हूँ।
पनघट रीते, गागर रीती,
रीती जीवन की रीत रही,
बिन तेरे ओझल दुनिया है
साजन ओझल सी प्रीत रही।