रंग
रंग
एक
दुनिया के
बदलते रंगों पर
मैं हँसूँगा इतना कि
वे सारे रंग
उदास हो जाएंगे।
....
दो
आपके
आसपास के रंग
जब तेजी से
बदलने लगें
तो मान लीजिए
कि आपको
अपनी पुरानी
कूचियां
बदलनी हैं।
........
तीन
कच्चे रंग जब
अपने आपको
पक्का
समझने लगें
तब तुम कुछ
नहीं कर सकते
उन्हें स्वयं फीका
होने देने के अलावा
कच्चे रंग उतरेंगे
एक दिन
समय की
बूंदों के साथ।
.......
चार
कमजोर लोग
रंग बदलते हैं
सत्ता बदलने के
साथ साथ
मतलबी लोग रंग
बदलते हैं
समय बदलने
के साथ साथ
कमजोर और
मतलबी लोग
एक साथ मिलकर
रंग
नहीं बदल पाते
मजबूत और
निष्ठावान लोगों का।
.......
पाँच
रंगरेज़
कपड़े रंगते हैं
और हम जो कपड़े
पहनते हैं
इतने रंग
बदलते हैं कि
कपड़े
रंगरेज़ की हुनर पर
किसी कोने से
हंस पड़ते हैं।
.......
छह
रंग
जब अपनी
पहचान को
लेकर विकल
होते हैं
तो इंद्रधनुष
बनते हैं
लेकिन जब
अपनी जिद को
लेकर
विलग होते हैं
तो तीर धनुष
चलते हैं।
.......
सात
जिनकी आँखों को
सपने दिए सुनहले,
जमीन दी समतल
जिनके पैरों को,
मुट्ठियों में
जिनकी भरी
खुशियों की रेजगारी,
जिनकी रीढ़ को
सीधी रखने के लिए
झुका ली हमने
अपनी कमर
जब वसंत आए
उन फूलों पर
उनके रंगों ने
हमारी ओर
वितृष्णा से देखा
हमारा बदरंग होना
उनकी खुशियों में
किसी धब्बे
सरीखा था।
.......
आठ
कब बना प्रतीक
काला
प्रतिरोध का
सफ़ेद
शान्ति का
लाल
प्रेम का
हरा
इस्लाम का
केसरिया
हिंदुत्व का
रंग पूछते हैं हमसे
ये सीधे मगर
अनसुलझे सवाल
हमारे थोपे गए
निर्णय पर
रंग,
अपना ब्रश चलाते हैं।
........
रंग
बने रहना
चाहते हैं
रंग मात्र
किसी संप्रदाय
से इतर
किसी वाद से
परे
किसी पूर्वाग्रह से
मुक्त।