कुछ तुम कहो
कुछ तुम कहो
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कुछ तुम कहो हम सुनेंगे
फ़िर हम भी अपनी कहेंगे
फ़िर याद आयेंगी बातें
जी भर के हम भी हँसेंगे
वो वक्त कुछ और ही था
अब क्यों किसी से डरेंगे
तुम सोच लेना ये पहले
कुछ हम भी तो अब पूछेंगे
महफ़िल में जो बात निकली
किस्से तो 'अंजू ' बनेंगे।