क्यों हो गए गुमराह
क्यों हो गए गुमराह
क्यों हो गए गुमराह,
तुम कहाँ चले हो,
ऐ मेरे हमसफ़र।
तुम राही हो इसी राह के,
तुमको नहीं इसकी ख़बर
क्यों हो गए गुमराह।
मैं देखता हूँ राह तुम्हारी,
तुम आओगे
मन्नतों को थाली में सजाओगे।
तुम्हारी जन्नत है यही,
तुम क्यों हो गए दरबदर
क्यों हो गए गुनराह।
देखों हर आँख में
आँसू तेरा आ गया
तू क्यों जीने से घबरा गया।
खिल रहे नए-नए फूल
हो रहा तेरी बातों का असर
तुम क्यों हो गए गुमराह,
क्यों हो गए गुनराह।