हलचल
हलचल
दिल हो रहा यूँ तो बेकरार
मन में कैसी ये हलचल है
छाया है प्यार का ही ख़ुमार
धड़कनें जिसकी कायल है।
किरणें ये सुहानी सुबह की
देती संदेशा ढलती शाम को
बाँहें फैलाए खड़े सारे पर्वत
दिन-रात जपे प्यारे-से नाम को।
पत्तियों की सरसराहट वन में
पंछियों के साथ मिलकर गाती
सन्नाटा रात का दूर भगाकर
दिलों में अपनी जगह बनाती।
धून ऐसी छेड़ी चंचल पवन ने
मदहोश हो चांदनियाँ बलखाती
ओढ़ चुनरिया प्यार से रंगी वो
चाँद को देख-देखकर मुस्कुराती।।