मंज़िल
मंज़िल
मंज़िल को हासिल करना है
मुसीबतों के काँटो पर
चलना सीखो !
सुख पाना है तो
दुःख के गर्म लोहे पर चलना है
काँटे भी होते है फूल
प्रकृति सारी तुम्हारी रहेगी
दिन - रात मेहनत करो
मंज़िल आसान हो जाएगी !
बड़े - बड़े पहाड़ भी
नम्रता से झुकेंगे
सागर की लहरे
सयंम और शांत होंगे
जब तुम कठिनता से
सफल हो पाओगे
सुख - दुःख का अनुभव करोगे
दुःख से सुख में
आनंद मिलता है !
इस जीवन में तुझे ही
सबकुछ करना है
दुनिया का अनुभव खुद लेना है
तुझमे सत्य, शील, होना जरूरी है
संयम, नम्रता से
भगवान के हृदय में स्थान है !
काम करते रहो
मदद माँगते रहो
इन्सान तुम्हारे साथ है !
मंज़िल को अगर पाना है तो
प्यार करना सीखो
अपनी वाणी शुद्ध रखकर
सारा विश्व जोड़ना सीखो
मानव भाईचारा देना सीखो !
पानी जैसे निर्मल बनो
हवा जैसे मन शुद्ध रखो
पंछी जैसे आनंदी बनो
सूरज, वर्षा जैसे परोपकारी बनो !