Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Saurabh Sood

Drama Inspirational

1.0  

Saurabh Sood

Drama Inspirational

ख़ुदा

ख़ुदा

1 min
13.8K


ख़ुदा दिखाता है राह,

हर भटके रहनवर्द को,

हर दर्द की जहाँ में,

दवा बनाता है खुदा।


कभी ग़र मंज़िल न हो,

दीग़र ज़ुल्मत में,

तो एक शुआ-ए-तनवीर,

दिखता है खुदा।


जो दे दर्द,

तो ज़ौक़-ए-ज़ब्त-ए-ग़म भी दे,

अपने बन्दों को कहाँ,

भूल पाता है खुदा।


सफर का सरमाया,

हर मौज का साहिल है,

देकर मुश्किलें,

आदमी को आज़माता है खुदा।


आबिदान-ओ-कुफ़रान,

सहारा वही है,

भूल जाओ कभी तो,

याद दिलाता है खुदा।


सबको देता है,

अजदहाम-ए-रंज-ओ-शाद,

बड़े तदव्वुर से ये,

तक़दीर बनाता है खुदा।


जो न हो किसी को,

जहाँ में कोई मयस्सर,

तो फिर उसका सहारा,

बन जाता है खुदा।


ग़रचे उसकी मौजूदगी,

पर उठने लगे शुबहा,

तो क़फ़स-ए-पर्दा से,

निकल आता है खुदा।


कभी-कभी तो लेता है,

इम्तिहान बशर का,

फिर इरतेआश-ए-दुआ में,

उभर आता है खुदा।


करता है कभी फिर वो,

एजाज़ कुछ ऐसे भी,

इंसाँ के यक़ीं को,

क़ामिल बनाता है खुदा।


कभी करता है,

ज़र्ब-ए-हवादिस से बिस्मिल,

फिर इक मुशाहबत से,

मरहम लगाता है खुदा।


कोई अपनी रूह में,

झाँककर तो देखे,

मुजस्सिम वहीं,

नज़र आता है खुदा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama