कर्तव्यनिष्ठ कर्मशील कलम
कर्तव्यनिष्ठ कर्मशील कलम
कर्तव्यपरायण कर्तव्यनिष्ठ कर्मशील
कलम को सदैव दें सादर प्रणाम,
सभी साक्षरों को अविराम सहायता करके
सर्वदा जो दें सुनिश्चित परिणाम।।
विश्वसनीय सहायक हैं प्रति विद्यार्थी के
प्रतिदिन,
लेखनी द्वारा छात्र छात्राओं का शोधन
संशोधन गुरुजन करें दिनोंदिन।।
इस महत्वपूर्ण माध्यम से सम्प्राप्त हुए
महाकाव्य महाभारत भागवत रामायण,
लेखनी से चिरकाल रह गए सभी ग्रन्थ
शास्त्र वेदशास्त्र व्याकरण पुराण महापुराण ।।
लिख पा रहे हैं भिन्न विभिन्न भाषाओं के
अभिन्न लिपि,
कलम बिन समस्त व्यक्त अव्यक्त
मनोभावनाओं को छपा नहीं सकते हैं कदापि।।
जो हैं प्रियतम प्रियतमा के प्रेम पत्र के
प्रीतिकर पात्र व मित्र,
जिनके अनियंत्रित अभिव्यक्त अभिनव अनुराग
को अनुभव करने हेतु पाए हैं प्रधान-पात्र।।
कलम से कवि दे पते हैं अपना कलमनाम,
वर्षों वर्षों उपरांत विद्यमान रहे उनका यही
सुनाम।।
कलम की स्याही पे निर्भर हैं लेखाकार
चित्रकार पत्रकार,
जिससे यादगार हो जाएँ साहित्यकार
काव्यकार कथाकार।।
कलम बिना अचल हो जाएँ राजनीति
प्रजातंत्र प्रशासन,
लेखनी के अलौकिक सृजनशक्ति से
महामंत्री महाराज करें सुशासन।।
जहाँ जहाँ पहुँच न पाएँ चन्द्रमा और रवि,
वहां वहां कलम द्वारा काल्पनिक स्थानों
को पहुँच पाएँ कवि।।
गानों में शब्दों को सुन्दर तरह से जोड़े
गीतकार,
सुरीले गीतों के बिना परिचित न हो पाए
संगीतकार।।
राजधिराजन श्री जगन्नाथ महाप्रभु के श्री मंदिर में
उनके इतिहासकारों ने लिखा मादला पंजी,
प्राचीन ओजस्वी ओड़िआ भाषा के शास्त्रीय
मान्यता हेतु ये उत्तराधिकार है अत्यंत
अमूल्य पूंजी।।
कर्तव्यपरायण कर्तव्यनिष्ठ कर्मशील
कलम द्वारा संयुक्त हो जाएँ भूत भविष्य वर्तमान,
समस्त संततियों में ज्ञान विज्ञान प्रसार हस्तांतरण हेतु
हैं विद्यादात्री वाग्देवीजी का विशिष्ट वरदान।।