इंतज़ार
इंतज़ार
तू जो जाना चाहे
दूर मुझसे अगर
रोकने की कोशिश, करूँगा मैं मगर
जो तू न रूक सकी, मेरी आवाजें न सुन सकी
मैं करूँगा तेरा इंतज़ार
कर वही जो दिल कहे
तू हमेशा खुश रहे
है मेरे दिल की दुआ
तू न कोई दुःख सहे
रहूँ चाहे मैं तन्हा भी
झूठी लगे यह दुनिया ही
पर है यकीन मुझको मगर
पलट के देखोगी अगर
हँसता हुआ इन राहों पे
मैं करूँगा तेरा इंतज़ार
अश्कों की फिक्र किसको है
यह बहते नमक के पानी से
पर तेरी आँखों से ये बहे
देते हैं दर्द, जो न सह सकें
राहों का मुझको पता नहीं
है उनकी कोई खता नहीं
मैं हमसफ़र तेरा बन सकूँ
यह भी मुझे पता नहीं
तू अगर दूर हो जाये
छोड़ के मुझको चली जाये
ढूँढूँगा तुझे मैं हर पल मगर
न मिल सकी तू अगर
रख के तस्वीर तेरी अपने करीब
इन जुदा होती राहों पे
मैं करूँगा तेरा इंतज़ार