शिक्षक से एक मुलाक़ात
शिक्षक से एक मुलाक़ात
जाहिल हैं इनके अभिभावक
वो क्या जाने शिक्षा को
खुद कुछ न सीखा ,इन्हे क्या सिखाएँगे
बुलाने से फ़ायदा भी क्या है
यूं ही बड़ –बड़ करेंगे
कुछ तो चुप्पी ही नहीं तोड़ेंगे ..........
ऐसी ही मिलती जुलती प्रीतिकिर्या थी
मेरे शिक्षित समाज के शिक्षा के ठेकेदारो की
जब मेने अनायास ही पूछ लिया था
अक्सर ही आप अभिभावकों से मिलने तो जाते होंगे ?
कुछ सवाल इन ब्च्चों के लेकर ,इनकी प्रगति पर कुछ बातें होती तो होंगी ?
मेरे इस सवाल से कुटिल सी मुस्कान चेहरे पर लिए ,मुझे ऐसे देखा
जैसे मैं भी फालतू ,मेरा सवाल भी फालतू
मुझको कुछ वास्तविकता का ज्ञान नहीं हो जैसे !
शिक्षक जी आत्म –विश्वास से सरोबार हो बोले
ये आप भी जानते हो ,ये हम भी जानते है
ये बच्चे न पढ़ पाएंगे ,और न पढ़ाई इनके किसी काम की
हमारे चाहने से क्या होगा ,शिक्षा है ही नहीं इनके नसीब की
मेने पूछा आप अपने स्तर पर तो कुछ प्रयास कर रहे होंगे ?
उनका सटीक सा जवाब था
जब कोई पढ़ना ही न चाहेगा तो हमारे प्रयासो से क्या होगा ?
सर जी , दूर शहर मे बैठकर सभी को ऐसा लगता है
ज्ञान को बरसाना अच्छा लगता है
पर इन लोगों की सच्चाई हम जानते है
आप न उलझो इन चक्कर मे, क्या शिक्षा देनी है इनको
ये हम बेहतर जानते है ।
उन्होने आवाज लगाई
कुछ बच्चों को बुलवाया
कमरे मे झाड़ू लगवाई
पीने के लिए पानी मंगवाया
कुछ बर्तन साफ करवाये
कुछ बच्चों से गीत गवाये
एक –दो बच्चो ने पाठ पढ़ कर सुनाया
कोई इंग्लिश के शब्दों से लड़कर ,वाक्य को पढ़ पाया
वो अपना चेहरा शान से ऊंचा किए ,मेरी और हंस रहे थे,
गर्व से फुले न समा रहे थे
बस और कोई सवाल मत पूछना ,ये कहना चाह रहे थे।
मेरे मन मैं भी मन ही मन कुछ प्रतिकिर्या हुई
इन बच्चो के अभिवाहक
जो बोलते है ,सपाट जो है मन मे
बनावट से दूर या
जो कुछ बोल नहीं पाते है
जो कुछ सोये –सोये
कुछ खोये- खोये से हैं
दोनों से ही तुम सावधान रहना
शब्दों की बेबाकी और
शब्दों की खामोशी
मिलावट से दूर सच को जानती है
अभी दे दो इनको इनके जवाब
नहीं तो ,अचंभित रह जाओगे
मैं कोई चेतावनी नहीं दे रहा
सिर्फ परिवर्तन की प्रिक्रिया बता रहा हूँ।