क्या होती है बरसात?
क्या होती है बरसात?
क्या होती है बरसात?
कैसी होती है?
ये सवाल आज भी
मेरे लिए सवाल है.
सुना है कि इसकी बूंदें,
जब तन को छूती है तो
एक सिहरन सी महसूस होती है
जैसे किसी ने हौले से प्यार
भरा स्पर्श किया हो...
बाँहें फ़ैलाये जब
इसमें भीगो तो
ऐसा लगता है जैसे
किसी ने प्यार से
बाँहों मे भर लिया हो...
जब लटों से
हवाएँ अठखेलियाँ करती हैं
तो लगता है जैसे
किसी ने गीले बालों को
अपनी उँगलियों से
सहलाया हो...
पर ये सब मैं
महसूस नही कर पाती क्योंकि
आज भी ऐसी प्यार भरी
बरसात का मैं बस इंतज़ार
ही कर रही हूँ ...
"बादल बरसे
प्यार फिर भी तरसे
गीला वन-उपवन
पर सुखा है तन-मन "