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Deepak Bhurani

Others Romance

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Deepak Bhurani

Others Romance

वो ज़माना

वो ज़माना

1 min
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कमाल का था वो ज़माना
जब तेरा और मेरा था याराना
ख़ामोशी में छुपी तेरी हर बात को समझ जाना
तेरी उलझी जुल्फों को सुलझाना
कमाल का था वो ज़माना
जब तेरा और मेरा था याराना...

मौजूदगी तेरी होती थी वज़ह
मुस्कराहट की मेरी
इक तू ही थी वज़ह
चाहत की मेरी...

मेरी हर छोटी-छोटी बात पर
हँसना तेरा
मुझको भाता था
तेरी बिना मुझको
चैन कहाँ आता था?

चाँद की चाँदनी से
चमकीला तेरा चेहरा
और उस चेहरे पर काली जुल्फों का पहरा
ये सभी बातें मुझको
दीवाना बनाती थी तेरा
कमाल का था वो ज़माना
जब तेरा और मेरा था याराना...

रह गयी अधूरी
वो कसमे वो वादे
पर आज भी तेरा अंश है मुझमें
इन यादों के हवाले...

बड़ा दिलचस्प हो चला है
तेरी यादों का सिलसिला
कभी पल
कभी पल पल
कभी हर पल
तेरी याद दिलाता है,
तेरी गैरमौजूदगी का अहसास
हर वक़्त, हर लम्हा कराता है...

कमाल का था वो ज़माना
जब तेरा और मेरा था याराना
ख़ामोशी में छुपी तेरी हर बात को समझ जाना
तेरी उलझी जुल्फों को सुलझाना
कमाल का था वो ज़माना
जब तेरा और मेरा था याराना...


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