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VINOD PANWAR पंवार_विनोद

Romance

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VINOD PANWAR पंवार_विनोद

Romance

इच्छा

इच्छा

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कुछ इस तरह रिश्ता मुझसे बनाना चाहती है

वो पागल जाने कबसे मेरे घर आना चाहती है


फिर मुझे छत पर अकेला बुला लिया उसने

शायद इस बार कुछ जरूरी बताना चाहती है


आंखें बंद कर ली है मुझे कस कर पकड़कर

इरादा नेक नहीं या मुझे आजमाना चाहती है


छुआ लबों को लबों से मेरे और जरा रो पड़ी

कहा अब जीना किसे क्यूँ मर जाना चाहती है


पा तो ली है खुशियाँ सारी मेरे संग रहते हुए

बस तमन्ना बाकी अब घर बसाना चाहती है


यूँ तो बदनाम हैं दोनों मोहब्बत की गलियों में

पर अब तो इश्क़ को पहचान दिलाना चाहती है


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