Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Pankaj Sharma

Abstract

4  

Pankaj Sharma

Abstract

तबाही तबाही जहाँ देखो वहाँ है तबाही

तबाही तबाही जहाँ देखो वहाँ है तबाही

1 min
346


तबाही तबाही जहाँ देखो वहाँ है तबाही

जिसको देखो वो कर रहा है तबाही


शहर मे पेङ काटते है घर बनाने के लिए

जाने कितना पेङ काटते है झूठा जन्नत बनाने के लिए

कारखाने से पानी छोङ रहे है कितने वर्षो से

पानी के भीतर सब मर रहे है जाने कितने जमाने से


स्कूल मे सभी पढते है और पढाते है पर्यावरण के बारे मे

सूनापन और तन्हाई रह गया है धरती के ऑचल मे

करता है पेङ हमारी सुरक्षा देता है जीवन दान

आशियाना बनाने के लिए हम ले लेते है उसकी जान


पर्यावरण दिवस पर हम शौक से पेङ लगाते है

कुछ समय पश्चात उसे काट फेंकते है

तकनीक मे और विग्यान मे दुनिया बढ़ रही है आगे

किस्मत का ताला खुल जाये फिर भी सोहरत के पीछे भागे


ईश्वर भी खुद को कोसता होगा

अपनी बनायी दुनिया को बिखरता देख रो रहा होगा

बढ़ता जा रहा है पाप का साम्राज

धीरे-धीरे घटता जा रहा है धर्म परोपकार और लाज।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract