आँखें
आँखें
1 min
855
नहीं रहा एक भी
बूंद पानी
और नमी साँसों को
छूती नहीं
रेगिस्ताँ के थपेड़ों से
झुलसता नहीं
चाहे हो
बादल
या मेरी ये दोनों
आँखें।