जीवन दिखता है
जीवन दिखता है
जीवन दिखता है सड़कों पर, दौड़ भाग करते
जैसे
कुछ खोया, पाया नहीं
अनंत काल से, समय बाँध लेने की चाहत में,
आतुर से |
ओढ़े हुऐ अनकहे मौन की चादर,
लिए साथ में स्वार्थ और आडम्बर, कई कई संख्या में यहाँ
जीवन दिखता है सड़कों पर, दौड़ भाग करते|
जैसे
भूखे उदरों की ज्वाला से प्रेरित हो हो कर
लड़ते हुए ख़ुद से या प्रकृति से, या नियति से
कुछ लेते, कुछ देते, ठेलों पर, सडकों पर
फुटपाथ पर, कागज़ के चिथड़ों में,
टूटे हुए काँच के टुकड़ों में, खोजते हुऐ
कभी न मिलने वाली खुशियाँ
जीवन दिखता है सड़कों पर, दौड़ भाग करते
जैसे
फूल बिना ख़ुशबू के, रंगों के
कुचले हुऐ से
शीशे पर पानी के छींटों से, बचपन के कुछ अंश लिऐ हुऐ
भय से पुती हुई आवाजों से हँसते, बिना कहे
अनुत्तरित, अगणित प्रश्नों को कहते
सच्चाइयों में जीते, सच को सहते
सब सो जाते हैं लेकिन
अंधकार की परतों में
जीवन दिखता है सड़कों पर, दौड़ भाग करते