सच्चा मानव
सच्चा मानव
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ज्ञान दो, प्रभु ज्ञान दो|
सच्चे मानव के निर्माण हेतु प्रभु ज्ञान दो|
संस्कृति हमारी जिसमें समाहित हो,
व उसके उच्च आदर्शों का उत्थान हो|
विश्व कल्याण ही उसका ध्येय हो,
बस मानवता का ही गुणगान हो|
न हो दंभ उस ज्ञान का,
उससे कार्य हो बस परमार्थ का|
प्रत्येक की चेतना को शिखर मिले,
ह्दयो में विशालता विद्यमान हो|
धर्म वर्ण का भेद मिटे,
द्वेष ईष्या का विनाश हो|
हिंसा संघर्ष को विराम मिले,
प्रेम सदभाव का आलोक जगे|
तोड़े पुष्प भी तो मन में रुदन हो,
इतनी करुणा का हमें दान करो|
लघु सी बातों पर ना विवाद हो,
इतना तुम धैर्य प्रदान करो|
रूढ़ियों से हटे सभी,
स्वयं के चिंतन से कर्म हो|
धरा को स्वर्ग बनाने हेतु,
उच्च विचारों से सुशोभित,
एक सच्चे मानव का निर्माण करो|