Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Jayesh Mestry

Others

2  

Jayesh Mestry

Others

इन्सान होना

इन्सान होना

1 min
339


ना हिंदू होना, ना मुसलमान होना

कुछ होना हो, तो इन्सान होना


इन्सानों की भीड़ में भेड़िये क्यों खड़े है?

क्या इन्सान भूल गये है इन्सान होना?


बड़ी मुश्किल से मिलता है रुह को जिस्म

ऐ इन्सान, इस सच से ना कभी अंजान होना


चाहे कितनी भी कोशिश कर ले मगर

तेरे बस में नहीं है भगवान होना


तू चाँद पर जा पहुंचा है, ऐ इन्सान

पर तू भूल गया है इन्सान होना


ना हिंदू होना, ना मुसलमान होना

कुछ होना हो, तो इन्सान होना


Rate this content
Log in