अचरज
अचरज
भरके अचरज गधे स्वामी,
पहुँचे अपने घर के नानी।
ईश्वर की कैसी नादानी,
मुझको होती है हैरानी।
नानी मुझको ये सिखला दो,
उलझन मेरी ये सुलझा दो।
तेरी मेरी पूँछे पीछे,
इनकी ऐसी क्यूँ बतला दो ?
चेहरे पे छोटी-सी पूछें,
मर्दों की ये दाढ़ी मूँछ ?
चोटी वाली दीदी देखो,
सर के पीछे लम्बी पूँछ ?