नानी की कहानी
नानी की कहानी
मैं था नानीजी का प्यारा, और बड़ी प्यारी थी मेरी नानी।
सुनाती थी हर शाम चाव से, हमको कविता और कहानी।
आज तक करती हैं प्रेरित वे, भले हो चुकी कितनी पुरानी।
उनमें से जो मुझे अति पसंद है, आज तुम्हें सबको है सुनानी।
काम जगत में होगा वहीं, जिसे आप खुद ही करोगे।
लगेगा वह मुश्किल तब तक, तुम जब तक डरोगे।
अपना काम जो छोड़ा, तुमने किसी दूजे के सहारे।
पूरा होना उसका मुश्किल है, बिना लगे ही तुम्हारे।
दो युवकों का बाप था, गाॅ॑व में था एक छोटा सा किसान।
अपने खेत की फसल कटेगी कैसे?था वह बड़ा ही परेशान।
उसके खेत में रहती थी एक, चिड़िया अपने बच्चों के साथ।
बच्चे डर गए सुनकर के, खेत कटवाने की बात पड़ोसियों के साथ।
शाम को जब चिड़िया दाना चुगकर, उन बच्चों के पास वापस आई।
बच्चों ने खेत कटवाने की किसान की योजना, अपनी माॅ॑ को बताई।
चिड़िया बोली तनिक डरो ना, खेत काटने तो नहीं कोई भी आएगा।
तुम्हारे पंखों की मजबूती का, कुछ दिन का तुम्हें मौका मिल जाएगा।
फिर दो दिन बाद किसान आया, कहने लगा कर भेजूंगा अपने भाई।
व्याकुलता के साथ बच्चों ने यह बात, अपनी माॅ॑ को फिर बतलाई।
प्यारे डरने की है बात न कोई, उसके भाइयों के अपने भी कई काम हैं।
निश्चिंत रहो अब कुछ दिन, देखो अभी हमको तो पूरा ही आराम है।
तीन दिन बाद किसान बेटों के संग, फिर से खेत पर वापस आया।
भाई और पड़ोसी न आए काटने, बड़बड़ाता हुआ बड़ा ही झल्लाया।
इनके भरोसे अब जो रहेंगे तो हमारी, ये फसल ही खराब हो जाएगी।
कल आकर हम सब खुद ही काटेंगे, तब ही तो समय पर कट पाएगी।
खेत किसान तो कल खुद काटेगा, अपने ही दोनों बेटों के साथ।
पंख मजबूत हो चुके तुम्हारे, चिन्ता की है अब कोई भी न बात।
कल प्रात: हम तीनों सारे, यह खेत छोड़कर फुर्र-फुर्र उड़ जाएंगे।
होता काम खुद के करने से, संदेशा जगत के जन-जन को बताएंगे।
नहीं कभी भी असफल होगा, दुनिया में जो ध्यान रखेगा छोटी ये बात।
काम समय से होंगे पूरे, चाहे हों कितने ही मुश्किल जीवन के हालात।
उत्प्रेरक सहयोग सदा ही होता, आसान करता है बड़े मुश्किल से हालात।
बनें सहायक लेवें सहायता, वसुधा अपनी तभी बनेगी सबकी खुशियों की सौगात।