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Vishal Kumar

Others

5.0  

Vishal Kumar

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रंग बदलती ज़िंदगी

रंग बदलती ज़िंदगी

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एक दौड़ सी होती है ज़िंदगी,
कभी रूकती है, कभी दौड़ती है ज़िंदगी ,
कभी मायूसी ,कभी उमंगें दे जाती है ज़िंदगी .
 

आसमान की ऊँचाई तक ले जाती है ज़िंदगी ,
पल भर मे जमीं पे ले आती है ज़िंदगी .
ख़्वाहिशों को पंख लगाती है ज़िंदगी ,
अरमानों को कुचल, फिर रुलाती है ज़िंदगी .
एक दौड़ सी होती है ज़िंदगी ,


थकाती है कभी, कभी भगाती है ज़िंदगी ,
रह-रह के नई पाठ पढ़ाती है ज़िंदगी .
वक़्त के साथ बदल जाती है ज़िंदगी ,
हर रोज नई रंग दिखाती है ज़िंदगी .


हर चेहरे पे नक़ाब चढ़ाती है ज़िंदगी ,
दुःख में सभी का साथ छुड़ाती है ज़िंदगी ,
नक़ाबों में छुपी सच दिखाती है ज़िंदगी .....


फिर जीने की वजह भी दे जाती है ज़िंदगी ,
हौसलों को नई उड़ान दे जाती है ज़िंदगी .
गिर  के सँभलना सिखा जाती है ज़िंदगी ,
आईना अपनी ताक़त का दिखा जाती हैं ज़िंदगी .


वक़्त के साथ बदलना सिखा जाती है ज़िंदगी ...


उठो, बढ़ो,आगे चलो ,ज़िंदगी  एक दौड़ है,
ना रुको ,ना थको तुम चलते चलो,
गिरो, उठो  आगे बढ़ो..
कोई संग हो ना हो तुम बढ़ते चलो..
ज़िंदगी  एक सफ़र है तुम चलते चलो......

 

 


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