मृत्यु
मृत्यु
मृत्यु तुम क्यों नही आते
क्यों आकर मुझे गले नही लगाते
आकर मुझे बाहों में समा लो
मेरे ग़म खुद में मिला लो
तुम अनवरत बहते हो
जीवन के हर पल में रहते हो
असत्य के इस संसार में
बस तुम ही तो सत्य कहते हो
मैंने भी वास्तविकता जान ली
भरम को ठुकरा दिया
आकर मुझे शांति दो
मैंने भी तुम्हे अपना लिया
सदियां कितनी बीत गई
पर वक्त हमेशा यही दोहराता है
जीवन कष्टों से घिरा व्यक्ति
सिर्फ तुम्हारी शरण मे मुक्ति पाता है।