ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी
ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी
निगाहें मिलाकर नजर फेर लोगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।
मिलकर भी हम तुमसे मिल न सकेंगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।।
अपने ही हाथों से किया है, मैंने कत्ल खुद अपने ही अरमानों का ।
मोहब्बत के दिए को बुझा तुम दोगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।।
माना आज हमारी राहें जुदा हो गयी, मगर फिर भी ओ मेरे सनम ।
तुम इस तरह मेरा दिल तोड़ दोगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।।
अपने दिल के आइने में, तेरी तस्वीर बसा ली मैंने मगर फिर भी।
शीशा-ए-दिल को तुम चूर कर दोगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।।
मेरे दिले-गुलशन के सभी फूल, हाय आज फिर से मुरझाने लगे हैं ।
तुम यूं दिले-गुलिस्तां उजाड़ दोगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।।
ये हँसी वादियाँ भी अब भाती नहीं, हमको तेरे बिना ओ साजना ।
राहें मोहब्बत में तन्हा कर दोगे, ऐसी उम्मीद हमें तुमसे ना थी ।।