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Sandeep Gupta

Inspirational

5.0  

Sandeep Gupta

Inspirational

युवा हो रुको नहीं

युवा हो रुको नहीं

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युवा हो रुको नहीं,

बाधाओं का जाल कटेगा,

आज नहीं कल मगर,


मत तुम पीछे हटो,

डटे रहो, लगे रहो,

युवा हो रुको नहीं।


राह है कठिन बहुत,

हाथ थाम के चलो,

कांधे से मिला कांधा,

क़ाफ़िला बना चलो,


नई-नई राह पर,

साथ ना मिले कोई,

ना राह ताकते रुको,


चले अकेले चलो,

युवा हो रुको नहीं।


खेल-खेल में तुम,

पार समन्दर करो,

आसमाँ को चूमने,

उड़ानें ऊँची भरो,


परे इस आसमां के,

नये इक जहाँ का,

आग़ाज़ तुम करो,

युवा हो रुको नहीं।


बाँध मुट्ठी में चलो,

ऊर्जित रश्मियाँ,

सूर्य की चाह में,

मत व्यर्थ तुम जलो,


दीप बन कर जियो,

दूर अंधियारा करो,

युवा हो रुको नहीं।


रणभेरी है बज रही,

शमशीर खींच के चलो,

जीत हार, हार जीत,

का चले सिलसिला,


हार से डरो नहीं,

थके हो झुको नहीं,

तैयार ख़ुद को करो,

बनकर बाहुबली फिर,


जीत का श्रृंगार करो,

युवा हो रुको नहीं

कंधों पे अपने देश का,

भार तुम वहन करो।


नींव नई-नई धरो,

सृजन करो !

सृजन करो !


युवा हो तुम,

रुको नहीं,

रुको नहीं ! रुको नहीं !

नये भारत का निर्माण करो।


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